धर्मनिरपेक्षता


जिसे हमने वस्त्र या कर्तव्य रूप माना है ,
जो ना माने उनके लिए प्रस्तुत एक जुर्माना है ,
यह जो सारी जड़ता के लिए एक बहाना है ,
अगर यही धर्म है , तो धर्म ही बचकाना है।

"धारयति इति धर्मः" से धर्म शब्द आता है ,
अर्थ यह कि जो हमेशा धारण किया जाता है ,
अलग होना भी चाहे तो जिससे अलग ना हो पाता है ,
मनुष्य में धर्म विचार के मूल में समाता है।

फिर एक वे जो धर्मनिरपेक्षता के वाहक हैं ,
बिना जाने किसी धर्म को , धर्मनिरपेक्षता के ज्ञातक हैं।
तराजू लिए हाथ में , संप्रदायों को तौलते हैं ,
मानो हिंदू मुस्लिम को इलेक्ट्रॉन प्रोटॉन भांति बोलते हैं।
विज्ञान की आड़ में धर्म का पुरज़ोर खंडन किया है ,
अफसोस ! पलायनवाद को धर्मनिरपेक्षता समझ लिया है।

निरपेक्ष है वह जो संपूर्णता को छूता है ,
वास्तविकता नहीं कोई ऐसी जिससे वह अछूता है।
संप्रदायों के मूल में जो उस एकता को जानता है ,
दोनों विज्ञान और धर्म को , पूर्णतः पहचानता है।
विज्ञान प्रयोग के पश्चात अनुभूतियों से जानता है ,
अंतोगतवः उस निरपेक्ष आधार को पहचानता है।

जो भी महापुरुष आए सभी ने धर्म को समझाया है ,
हो हर कोई संपूर्ण , निष्कर्ष यही बताया है।
अंतोगतवः मात्र एक निकलता यही मर्म है,
पथ कोई भी हो , निरपेक्षता ही धर्म है।

Comments

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    1. Kya baat hai Ashutosh, we feel blessed to have, such a blessed student. Keep it up!!

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    2. Thank you very much ma'am 🙏 ! It's bcz of having teachers like you ma'am who keep inspiring and motivating the students .

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  2. अति सुंदर
    ऐसी विचार शायद ही इतने अच्छे प्रस्तुति में किसी पुस्तक में मिल पाएं
    मैंने कई जगह पंथनिरपेक्षता के बारे में पढ़ा
    मगर यह blog अद्वितीय है....
    आपका धन्यवाद की आपने इस पर कुछ लिखा,
    यह इस देश की सबसे बड़ी समस्या हैं मगर इस पर बहुत कम जानकार ही बात करते हैं....

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    1. Thank you very much Manish that you understood the theme ! Yes , like you said , it's a big underlying problem and quite misunderstood .

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  3. Best one sir, you always enlighten us with beautiful lines.

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  4. May the rising sun keep shining.

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