पोशीदा
अकेले सफ़र को ऐसे सराहता है समंदर
तूफान और लहरें भी मेरे कारवाँ में है
ज़मीन में क़रार न देता कोई शहर
मंज़िल मेरी शायद से किसी आसमाँ में है
किरदार हो कोई भी, वो होता है मुख़्तसर
रुस्तम होने का हुनर तो सिर्फ़ दास्ताँ में है
क़ामयाबी के ख़ुमार ने रखा है बेख़बर
हार-जीत के परे की रज़ा इम्तिहाँ में है
गुलों को अनछुआ रखा, नहीं छेड़ा कोई शजर
खुशबुओं की क़हकशा उसी की गुलिस्ताँ में है
शब-ओ-सहर गुज़ारी मैंने बारिश में तर-बतर
इस बात की खुशी है कि वो साएबाँ में है
बावजूद हिज्र के हम रहेंगे हमसफ़र
एक ही किस्म की रूह हमारे गिरेबाँ में है
तूफान और लहरें भी मेरे कारवाँ में है
ज़मीन में क़रार न देता कोई शहर
मंज़िल मेरी शायद से किसी आसमाँ में है
किरदार हो कोई भी, वो होता है मुख़्तसर
रुस्तम होने का हुनर तो सिर्फ़ दास्ताँ में है
क़ामयाबी के ख़ुमार ने रखा है बेख़बर
हार-जीत के परे की रज़ा इम्तिहाँ में है
गुलों को अनछुआ रखा, नहीं छेड़ा कोई शजर
खुशबुओं की क़हकशा उसी की गुलिस्ताँ में है
शब-ओ-सहर गुज़ारी मैंने बारिश में तर-बतर
इस बात की खुशी है कि वो साएबाँ में है
बावजूद हिज्र के हम रहेंगे हमसफ़र
एक ही किस्म की रूह हमारे गिरेबाँ में है
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Akele safar ko aise saraahta hai samandar
Toofan aur lehrein bhi mere karvaa.n me hai
Zameen me karaar na deta koi shahar
Manzil meri shayad se kisi aasmaa.n me hai
Kirdaar ho koi bhi, voh hota hai mukhtsar
Rustam hone ka hunar toh sirf dastaa.n me hai
Qaamyabi ke khumaar ne rakha hai bekhabar
Haar-jeet ke pare ki razaa imtihaa.n me hai
Gulon ko anchhuaa rakha, nahi chheda koi shajar
Khushbuon ki kehkashaa ussi ke gulistaa.n me hai
Shab-o-seher guzari maine baarish me tar-batar
Iss baat ki khushi hai ki voh saebaa.n me hai
Bavajood hijr ke hum rahenge humsafar
Ekk hi kism ki rooh hamare girebaa.n me hai
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